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साँप

विक्षनरी से

संज्ञा

एक साँप (अजगर्)

साँप

  1. एक सरीसृप जिसके पैर नही होते

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

साँप संज्ञा पुं॰ [सं॰ सर्प, प्रा॰ सप्प] [स्त्री॰ साँपिन]

१. एक प्रसिद्ध रेंगनेवाला लंबा कीड़ा जिसके हाथ पैर नहीं होते और जो पेट के बल जमीन पर रेंगता है । विशेष—केवल थोड़े से बहुत ठंडे देशों को छोड़कर शेष प्रायः समस्त संसार में यह पाया जाता है । इसकी सैकड़ों जातियाँ होती हैं जो आकार और रंग आदि में एक दुसरी से बहुत अधिक भिन्न होती हैं । साँप आकार में दो ढाई इंच से २५— ३० फुट तक लंबे होते हैं और मोटे सूत से लेकर प्रायः एक फुट तक मोटे होते है । बहुत बड़ी जातियों के साँप अजगर कहलाते हैं । साँप पीले, हरे, लाल, काले, भूरे आदि अनेक रंगों के होते हैं । साँपों को अधिकांश जातियाँ बहुत डरपोक और सीधी होती हैं, पर कुछ जातियाँ जहरीली और बहुत ही घातक होती हैं । भारत के गेहुअन, धामिन, नाग और काले साँप बहुत अधिक जहरीले होते हैं, और उनके काटने पर आदमी प्रायः नहीं बचता । इनके मुख में साधारण दाँतों के अतिरिक्त एक बहुत बड़ा नुकीला खोखला दाँत भी होता है जिसका संबंध जहर की एक थैली से होता है । काटने के समय वही दाँत शरीर में गड़ाकर ये विष का प्रवेश करते हैं । सब साँप मांसाहारी होते हैं और छोटे छोटे जीव- जंतुओं को निगल जाते हैं । इनसे यह विशेषता होती है कि ये अपने शरीर की मोटाई से कहा अधिक मोटे जंतुओं को निगल जाते हैं । प्रायः जाति के साँप पेड़ों पर और बड़ी जाति पहाड़ी आदि में यों ही जमीन पर रहते हैं । इनकी उत्पत्ति अंडों से होती है; और मादा हर बार में बहुत अधिक अंडे देती है । साँपों के छोटे बच्चे प्रायः रक्षित होने के लिये अपनी माता के मुँह में चले जाते हैं; इसी लिये लोगों में यह प्रवाद है कि साँपिन अपने बच्चों को आप ही खा जाती है । इस देश में साँपों के काटने की चिकित्सा प्रायः जंतर मंतर और झाड़ फूँक आदि से की जाती है । भारतवासियों में यह भी प्रवाद है कि पूराने साँपों के सिर में एक प्रकार की मणि होती है जिसे वे रात में अंधकार के समय बाहर निकालकर अपने चारों ओर प्रकाश कर लेते हैं । मुहा॰—कलेजे पर साँप लहराना या लोटना = बहुत अधिक व्याकुलता या पीड़ा होना । अत्यंत दुःख होना । (ईर्ष्या आदि के कारण) । साँप उतारना = सर्प के काटने पर विष को मंत्रादि से दुर करना । साँप का पाँव देखना = असंभव वस्तु को पाने का प्रयत्न करना । साँप कीलना = मंत्र द्धारा साँप को वश में करना । मंत्र द्धारा साँप को काटने से रोकना । साँप को खिलाना = अत्यंत खतरनाक कार्य करना ।साँप से खेलना = अत्यंत खतरनाक व्यक्ति से संबंध रखना । साँप सूँध जाना = साँप का काट खाना । मर जाना । निर्जिव हो जाना । जैसे,—ऐसे सोए हैं मानों साँप सूँध गया है । उ॰—अरे इस मकान में कोई है या सबको साँप सूँध गया ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰—३४ । साँप खेलाना = मंत्र बल से या और किसी प्रकार साँप को पकड़ना और क्रीड़ा करना । साँप की तरह केंचुली झाड़ना = पूराना भद्दा रुप रंग छोड़कर नया सुंदर रुप धारण करना । साँप की लहर = साँप काटने पर रह रह कर आनेवाली विष की लहर । साँप काटने का कष्ट । साँप की लकीर = पृथ्वी पर का चिह्न जो साँप के निकल जाने पर होता है । साँप के मूँह में = बहुत जोखिम में । साँप (के) चले जाने पर लकीर को पीटना = (१) अवसर बीत जाने पर भी उस अवसर को जिलाए रखना । किसी विषय को असमय में उठाना । (२) खतरे के अवसर पर उसका प्रतिरोध न करके बाद में उसे दूर करने की चेष्टा करना । मौका गुजर जाने पर मुस्तेदी दिखाना । साँप छछुँदर की गति या दशा = भारी अस- मंजस की दशा । दुबिधा । उ॰—भइ गति साँप छछुँदर केरी ।—तुलसी (शब्द॰) । विशेष—साँप छछूँदर की कहावत के संबंध में कहा जाता है कि यदि साँप छछूँदर को पकड़ने पर खा जाता है, तो तुरंत मर जाता है; और यदि न खाय और उगल दे, तो अंधा हो जाता है । पर्या॰—भूजग । भुजंग । अहि । विषधर । व्याल । सरीसृप । कुंडली । चक्षुश्रवा । फणी । विलेशय । उरग । पन्नग । पवनाशन ।

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