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क्षेत्र

विक्षनरी से

संज्ञा

स्थान, जगह, स्थल

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

क्षेत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह स्थान जहाँ अन्न बोया जाता हो । खेत ।

२. समतल भूमि ।

३. वह जगह जहाँ कोई चीज पैदा हो । उत्पत्तिस्थान ।

४. स्थान । प्रदेश । जैसे, —हरिहर क्षेत्र । कुरुक्षेत्र ।

५. पुण्यस्थान । तीर्थस्थान ।

६. राशि (मेष आदि) ।

७. स्त्री । जोरू ।

८. शरीर । बदन ।

९. गीता के अनुसार पाँचों ज्ञानेंद्रियाँ, पाँचों कर्मेंद्रियाँ, मन, इच्छा, द्वेष, सुख, दुःख, संस्कार चेतनता और धृति ।

१०. अंतः— करण ।

११. वह स्थान जो रेखाओं से घिरा हुआ हो । यौ॰—क्षेत्रभक्ति = खेतों का बँटवारा । क्षेत्रमिति = क्षेत्रगणित । क्षेत्ररुहा = एक तरह की ककड़ी । क्षेत्रव्यवहार = किसी क्षेत्र का वर्गफल आदि निकलना । क्षेत्रसंन्यास = किसी स्थानविशेष की सीमा के अंदर रहने का व्रत ।

१२. बाड़ा । घेरा (को॰) ।

१३. गृह । घर (को॰) ।

१२. रेखाचित्र । रेखांकन (को॰) ।

१४. अन्नसत्र (को॰) ।