दूसरा
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विशेषण
व्युत्पत्ति
संज्ञा
दूसरा
- जो क्रम में दो के स्थान पर हो।
- पहले के बाद का।
- द्वितीय।
- उदाहरण –
- गली में बाएँ हाथ का दूसरा मकान उन्हीं का है।
विशेषण
दूसरा (dūsrā) [स्त्री॰ दूसरी]
- जिसका प्रस्तुत विषय या व्यक्ति से संबंध न हो।
- अन्य।
- अपर।
- ग़ैर।
- जैसे –
- हम लोग आपस में लड़ें और चाहें झगड़ें, दूसरे से मतलब?
- दूसरों के सिर ठीकरा फोड़ना। (कहावत) – दूसरों पर दोष मढ़ना। उ॰–दूसरों को उबार लेते हैं एक दो बीर विपद में गिर। पर बहुत लोग पाक बनते हैं ठीकरा फोड़ दूसरों के सिर। — चुभते॰, पृ॰ १२।
- यौगिक –
- दूसरी माँ –
- -जो अपनी माँ न हो।
- -सौतेली माँ ।
- दूसरी माँ –
अनुवाद
- अंग्रेज़ी : second en:second
- फ्रांसीसी : deuxième fr:deuxième पु./स्त्री., second fr:second पु., seconde fr:seconde स्त्री.
- गुजराती : બીઝે gu:બીઝે
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विशेषण
अनुवाद
- अंग्रेज़ी : second en:second
- फ्रांसीसी : deuxième fr:deuxième पु./स्त्री., second fr:second पु., seconde fr:seconde स्त्री.
- गुजराती : બીઝે gu:બીઝે
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
दूसरा वि॰ [हिं॰ दो] [वि॰ स्त्री॰ दूसरी]
१. जो क्रम में दो के स्थान पर हो । पहले के बाद का । द्वितीय । जैसे,— गली में बाएँ हाथ का दूसरा मकान उन्हीं का है ।
२. जिसका प्रस्तुत विषय या व्यक्ति से संबंध न हो । अन्य । अपर । और गैर । जैसे,—हम लोग आपस में लड़ें और चाहें झगड़ें, दूसरे से मतलब ? मुहा॰—दूसरों के सिर ठीकरा फोड़ना = दूसरों पर दोष मढ़ना । उ॰—दूसरों को उबार लेते हैं एक दो बीर विपद में गिर । पर बहुत लोग पाक बनते हैं ठीकरा फोड़ दूसरों के सिर ।—चुभते॰, पृ॰ १२ । यौ॰—दूसरी माँ = जो अपनी माँ न हो । सौतेली माँ ।