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  • स्त्री॰ [सं॰ प्रणाम + हिं॰ ई (प्रत्य॰)] वह धन या दक्षिणा जो गुरु, ब्राह्मण या गोस्वामी आदि को शिष्य या भक्त लोग प्रणाम करने के समय देते हैं । प्रणामी ।...
    ८७७ B (४२ शब्द) - ०८:३९, २५ मई २०१६
  • या बाड़े में स्थित (को॰) । गोकुलस्थ ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. वल्लभी गोस्वामियों का एक भेद । २. तैलंग ब्राह्मणों का एक भेद । पद्याकर कवि इसी वंश के थे ।...
    ८७५ B (४४ शब्द) - १८:२४, २४ मई २०१६
  • विशेष—ये जाति के सरयूपारीण ब्राह्मण थे । ऐसा अनुमान किया जाता है कि ये पतिऔजा के दुबे थे । पर तुलसीचरित नामक एक ग्रंथ में, जो गोस्वामी जी के किसी शिष्य का लिखा...
    ८ KB (५५६ शब्द) - ०१:२७, २५ मई २०१६
  • । इस पद से गोस्वामी तुलसीदास जी का भी भक्तमाल बनने के समय वर्तमान रहना पाया जाता है—रामचरन रस मत्त रहत अहनिसि ब्रतधारी । संवत १६८० गोस्वामी जी का मृत्युकाल...
    ४ KB (३१३ शब्द) - ०४:०१, २५ मई २०१६
  • छोड़कर ये फिर गृहस्थ हो गए थे । इनके कई पुत्र हुए, जो गद्दियों के मालिक गोस्वामी हुए । इन्होंने राधाकृष्ण की बड़ी आडंबरपूर्ण उपासना चलाई और अपना वेदांत...
    ३ KB (२१९ शब्द) - ०६:२४, १० दिसम्बर २०१६
  • के दो सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं । जिस प्रकार रामचरित का गान कर गोस्वामी तुलसीदास जी अमर हुए हैं, उसी प्रकार श्रीकृष्ण की लीला कई सहस्र पदों में...
    ८ KB (५६० शब्द) - २२:०६, २६ मई २०१६