मनोरथ संज्ञा पुं॰ [सं॰] अभिलाषा । बांछा । इच्छा । उ॰— (क) करत मनोरथ जस जिय जाके । जाहिं सनेह सुरा सब छाके ।—मानस, २ ।२२५ । (ख) वंस मनोरथ पिय मिलें घट भया उजारा । —कबीर श॰, भा॰ १, पृ॰ ७२ ।