खोज परिणाम

देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)
  • सहती हूँ पर इसी में फँसी पड़ी हूँ ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) । २. अटकना । उलझना । जैसे, काँटे में फँसना, दलदल में फँसना, काम में फँसना । उ॰—(क) यही कहे देता...
    २ KB (१०५ शब्द) - ०९:१५, २५ मई २०१६
  • फंस ‡ संज्ञा पुं॰ [देश॰ या सं॰ पाश] शाखा । टहनी । उ॰— पश्चिम की ओर मार्ग दो फँसों में फूटा है ।—झाँसी॰, पृ॰, १५९ ।...
    ५४३ B (२२ शब्द) - ०९:१५, २५ मई २०१६
  • फँसाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ फँसना] १. फंदे में लाना या अट- काना । बझाना । उ॰—और जो कदाचि काहू देवता को होय छल तौ तो ताहि नीके ब्रह्म फाँस सों फँसाइयो ।— हनुमान...
    १ KB (८४ शब्द) - ०९:१५, २५ मई २०१६
  • famandrihana फँसाने...
    १४५ B (२ शब्द) - २२:०३, २१ मई २०१७
  • फँसाव संज्ञा पुं॰ [हिं॰ फँसाना + आव (प्रत्य॰)] फँसने का भाव या स्थिति । फँसना । २. ऐसी बात या स्थिति जिससे बचा न जा सके । ३. अवकाश या फुरसत न होना । अति...
    ६७८ B (३१ शब्द) - ०९:१५, २५ मई २०१६
  • शुकनलिका न्याय संज्ञा पुं॰ [सं॰] तोता जिस प्रकार फँसाने की नली (नलनी) में लोभ के कारण फँस जाता है, वैसे ही फँसने की रीति । विशेष—सूर, तुलसी आदि हिंदी के कवियों...
    ७७६ B (४१ शब्द) - ११:३३, २६ मई २०१६
  • घाति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] १. आघात । वध । २. पक्षियों को जाल में फँसाना या मारना । ३. चिड़िया फँसाने का जाल [को॰] ।...
    ५६३ B (२१ शब्द) - १८:४५, २४ मई २०१६
  • विषमस्थ वि॰ [सं॰] संकट में फँसा हुआ [को॰] ।...
    ३६४ B (८ शब्द) - ०९:५९, २६ मई २०१६
  • मत्स्यजाल संज्ञा पुं॰ [सं॰] मछली फँसाने का जाल [को॰]...
    ३९१ B (९ शब्द) - ११:५५, २५ मई २०१६
  • घोघ † संज्ञा पुं॰ [देश॰] बटेर फँसाने का जाल ।...
    ३७२ B (८ शब्द) - १८:५०, २४ मई २०१६
  • पाशबद्ध वि॰ [सं॰] फंदे में पडा़ हुआ । जाल में फँसा हुआ [को॰] ।...
    ४११ B (१२ शब्द) - ०७:२२, २५ मई २०१६
  • मृगजालिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] हिरनों को फँसाने का जाल ।...
    ४०५ B (९ शब्द) - १३:१४, २५ मई २०१६
  • मुब्तिला वि॰ [अ॰ मुब्तिलह्] मुसीबत या संकट आदि में फँसा हुआ ।...
    ४१६ B (११ शब्द) - १३:०६, २५ मई २०१६
  • फंद क्यों फँसातु है ।—दीन॰ ग्रं॰, पृ॰ १७० । मुहा॰—जवाल में पड़ना या फँसना = आफत में फँसना । झंझट या बखेड़े में फँसना । जवाल में डालना = आफत में फँसाना ।...
    १ KB (५९ शब्द) - २०:२३, २४ मई २०१६
  • बाझन पु † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ बझना ( = फँसना)] १. बझने या फँसने का भाव । फँसावट । २. उलझन । पेंच । ३. झझट । बखेड़ा । ४. वड़ाई । झगड़ा ।...
    ६१५ B (२३ शब्द) - १०:०९, २५ मई २०१६
  • कूटपाश संज्ञा पुं॰ [सं॰] पक्षियों को फँसाने का जाल । फंदा ।...
    ४०८ B (१० शब्द) - २२:५३, २१ मई २०१७
  • वरिशी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] मछली फँसाने की कँटिया । बंसी [को॰] ।...
    ४१८ B (१० शब्द) - ०८:३७, २६ मई २०१६
  • बिंधना क्रि॰ अ॰ [सं॰ बेधन, प्रा॰ विंधण] १. बींधना का अकर्मक रूप । बींधा जाना । छेदा जाना । २. फँसना । उलझना । बिंधना ^३ क्रि॰ स॰ फँसाना । विद्ध करना ।...
    ६५० B (२६ शब्द) - १०:२३, २५ मई २०१६
  • बिंधना क्रि॰ अ॰ [सं॰ बेधन, प्रा॰ विंधण] १. बींधना का अकर्मक रूप । बींधा जाना । छेदा जाना । २. फँसना । उलझना । बिंधना ^३ क्रि॰ स॰ फँसाना । विद्ध करना ।...
    ६५० B (२६ शब्द) - १०:१७, २५ मई २०१६
  • हस्तिबंध संज्ञा पुं॰ [सं॰ हस्तिबन्ध] वह स्थान जहाँ हाथियों को फँसाया जाता है [को॰] ।...
    ४७५ B (१४ शब्द) - २३:२६, २६ मई २०१६
देखें (पिछले २० | ) (२० | ५० | १०० | २५० | ५००)