आकाश
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हिन्दी
[सम्पादन]उच्चारण
[सम्पादन]मानी और परिभाषा
[सम्पादन]आकाश; संज्ञा; पुलिंग
- ज़मीन के ऊपर वह फैला हुआ और अपार गगन व फ़िज़ा, जिसमे सूरज, चाँद, सितारे, बादल, और दीगर खगोलीय वस्तुएँ नज़र आतीं हैं।
शब्दसफ़र
[सम्पादन]इसे संस्कृत के आकाशः से लिया गया है, जो आ(हर तरफ़, चारों ओर) + काश्(चमकता) + घञ् से मिल कर बना है (यानी: जहाँ हर तरफ़ से सूरज, चाँद, सितारे, वग़ैरा चमकते और जगमगाते हैं)।
मुहावरें
[सम्पादन]- आकाश छूना या छुमना = बहुत ऊँचा होना
- आकाश पाताल एक करना = सारा ज़ोर लगा देना, भारी मेहनत करना
- आकाश बाँधना= अनहोनी बात कहना । नामुमकिन बात कहना
कहावतें
[सम्पादन]- आकाश बांधे पाताल बांधे घर की टट्टी खुली = बड़े बड़े काम का दावा करना (जैसे कि आकाश और पाताल बांधना), मगर अपने घर की छोटी सी बात (जैसे कि शौचालय के दरवाज़े का इनतेज़ाम) भी ठीक न कर पाए।
नातेदार शब्द
[सम्पादन]हवाला
[सम्पादन]- श्यामसुंदर दास (1965–1975), “आकाश”, हिंदी शब्दसागर (हिंदी में), काशी [वाराणसी]: नागरीप्रचारिणी सभा
- शब्दसागरः - आकाश