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- प्रतापी राजा था । इसने पंजाब आदि स्थानों से यवनों (यूनानियों) को निकाल दिया था । यह ईसा से ३२१ वर्ष पूर्व मगध के राजसिंहासन पर बैठा और १४ वर्ष तक राज्य करता...४ KB (२४२ शब्द) - १८:५३, २४ मई २०१६
- प्रतापी राजा था । इसने पंजाब आदि स्थानों से यवनों (यूनानियों) को निकाल दिया था । यह ईसा से ३२१ वर्ष पूर्व मगध के राजसिंहासन पर बैठा और १४ वर्ष तक राज्य करता...४ KB (२४२ शब्द) - १९:०६, २४ मई २०१६
- अन्य कई आधारों पर वेदों का समय ईसा से लगभग ४५०० वर्ष पूर्व स्थिर किया है । बहूलुर आदि विद्वानों का मत है आर्य सभ्यता ईसा से प्रायः चार हजार वर्ष के पहले...११ KB (७७८ शब्द) - ११:१३, २३ जून २०१९
- ३०६ से आरंभ होकर १४ वीं शताब्दी तक इधर उधर चलता रहा । हैहयों का श्रृंखलाबद्ध इतिहास विक्रम संवत् ९२० के आसपास मिलता है, इसके पूर्व चालुक्यों आदि के प्रसंग...३ KB (२२५ शब्द) - ०२:१५, १५ अक्टूबर २०१९
- सारे मगध देश में जैन धर्म का प्रचार हो गया था । जैनियों कै अनुसार ईसा से ५२७ वर्ष पूर्व महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था, और तभी से 'वीर संवत्' चला है...४ KB (३१४ शब्द) - ००:२४, २१ अगस्त २०२१
- के ४३२००० वर्ष होते हैं । विशेष—पुराणों के मत से इसका प्रारंभ ईसा से ३१०२ वर्ष से पूर्व माना जाता है । इसमें दुराचार और अधर्म की अधिकता कहीं गई । ७. छंद...५ KB (३६० शब्द) - २२:४८, २१ मई २०१७
- नहीं माना जा सकता । कुछ विद्वानों का कथन है कि वात्स्यायन ईसा की पाँचवीं शताब्दी में हुए । ईसा की छठी शताब्दी में वासवद- त्ताकार सुबंधु ने मल्लनाग, न्यायस्थिति...१०२ KB (८,०५७ शब्द) - २३:०७, २१ मई २०१७
- कलिवर्ज्य मानता है। कलिवर्ज्यविनिर्णय ने इस विषय में पाण्डवों की महाप्रस्थान यात्रा का उल्लेख किया है। (१४) गोसव नामक यज्ञ कलिवर्ज्य है। *(१५)* सौत्रामणी...११४ KB (८,५६५ शब्द) - १२:४९, ३० अगस्त २०२०