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  • विरद ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ विरुद] १. बड़ा नाम । लंबा चौड़ा या सुंदर नाम । २. ख्याति । प्रसिद्धि । उ॰—बड़े न हुजै गुनन बिनु विरद बड़ाई पाय । कहत धतूरा को...
    ९२९ B (४९ शब्द) - ०९:४५, २६ मई २०१६
  • व्रिद † संज्ञा पुं॰ [सं॰ विरद] विरद । सुजस । उ॰—मंछ कवि कहैं पुन सरन सधार व्रिद याही ते सरन लयो रावरे चरन को ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ २८५ ।...
    ५८७ B (२६ शब्द) - १०:४८, २६ मई २०१६
  • बिरद † संज्ञा पुं॰ [सं॰ विरुद] १. बड़ाई । यश । नेकनामी । २. दे॰ 'विरद' ।...
    ४४७ B (१२ शब्द) - १०:२५, २५ मई २०१६
  • अजितविक्रम ^१ वि॰ [सं॰] अपराजित विक्रमवाला [को॰] । अजितविक्रम ^२ संज्ञा पुं॰ चंद्रगुप्त द्वितीय का एक नाम या विरद [को॰] ।...
    ५४७ B (१९ शब्द) - २२:१७, २१ मई २०१७
  • गरबीला वि॰ [हिं॰ गरब + ईला प्रत्य॰] जिसे गर्व हो । घमंड़ी । अभीमानी । उ॰—गरबीलन के गरबनि ढ़ाहै । गरबप्रहारी विरद निबाहै ।—लाल (शब्द॰) ।...
    ६०४ B (२१ शब्द) - १७:५३, २४ मई २०१६
  • तोँर पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'तोमर' । उ॰—तहँ तोर तीषन ताकिये, रन विरद जिनके बाँकिये ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ ७ ।...
    ५३७ B (२० शब्द) - ०१:३५, २५ मई २०१६
  • अखत वि॰ [सं॰ अक्षत] बिना टूटा हुआ । अक्षत । संपूर्ण । समग्र । उ॰—गिणजै सद ज्यारी जिँदगाणी, उभै विरद धरियाँ अखत ।—रघु॰ रू॰, २४ ।...
    ५६२ B (२२ शब्द) - २२:१५, २१ मई २०१७
  • नचीत पु वि॰ [हिं॰] दे॰ 'निश्चिंत' । उ॰—भक्तवछल को विरद सुनि रज्जब दीन्हो रोय । जब सुनियो पावन पतित रह्यो नचीतो सोय ।—राम॰ धर्म॰, पृ॰ २९७ ।...
    ६११ B (२५ शब्द) - ०३:४१, २५ मई २०१६
  • बिड़द † संज्ञा पुं॰ [सं॰ बिरद] दे॰ 'विरद' । उ॰—हम कसिये क्या होइगा, बिड़द तुम्हारा जाइ । पीछे ही पछिताहुगे ताथैं प्रगटहु आइ ।—दादू॰ बानी, पृ॰ ६३ ।...
    ६३१ B (२५ शब्द) - १०:२१, २५ मई २०१६
  • वरम्म पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ वर्म] दे॰ 'वर्मं' । उ॰—नमसकार सूराँ नराँ, विरद नरेस वरम्म । रिजक उजालै साँम रौ, पालै साँम धरम्म ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १३...
    ६४४ B (२८ शब्द) - ०८:३६, २६ मई २०१६
  • पुं॰ [सं॰ स्वांमिधर्म] स्वामी के प्रति अपना कर्तव्य । उ॰—नमसकार सूराँ नराँ विरद नरेस वरंम । रिजक उजालै साँम रौ, पालै साँमधरमे ।—बाँकी॰, ग्रं॰, भा॰१, पृ॰१...
    ७१४ B (३० शब्द) - २०:४९, २६ मई २०१६
  • विछल पु [सं॰ वत्सल] पुत्रवत् प्रेम करनेवाला । उ॰—राम टेक जुग जुग अमर परगट भक्त निसाण । भक्त विछल विरद बिस्त- रयो भगवद वचन प्रमाण ।—राम॰ धर्म॰, पृ॰ २४३ ।...
    ६४९ B (२८ शब्द) - ०९:१८, २६ मई २०१६
  • प्रा॰ ओलग्ग] सेवा । उ॰— औलग करूँ अभंग हरि आगे बिरह बचन निशि वाशा । बाँचूँ विरद न को उर बीजा एक तुम्हारी आशा ।—राम॰ धर्म॰, पृ॰ १८३ । औलग ^२पु † संज्ञा पुं॰...
    ८१५ B (४१ शब्द) - १५:१०, २४ मई २०१६
  • सुढंग संग बजावही । करताल दै दै ताल मारू ख्याल कड़खा गावहीं ।—गोपाल (शब्द॰) । (ख) मोरा बैरी कड़खा गावै मनपथ विरद बखानि ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰२, पृ॰ ५०२ ।...
    १,०१२ B (५५ शब्द) - १५:२३, २४ मई २०१६
  • ग्यारह ग्यारह मात्राएँ होती हैं । इसके अंत में एक लघु होना चाहिए । जैसे—विरद सुमिरि सुधि करत नित ही, हरि तुव चरन निहार । यह भव जल निधि तें मुहिं तुरत...
    १ KB (८५ शब्द) - ०२:५४, २५ मई २०१६
  • का वर्णन करते हैं और प्रायः 'भाट' कहलाते हैं । उ॰— (क) मागध बंदी सूत गण विरद बदहिं मति धीर ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) मागध वंशावली बखाना ।— रघुराज (शब्द॰)...
    १ KB (९० शब्द) - १२:३६, २५ मई २०१६
  • गाढ़ो । जुग जुग यहै विरद चलि आयो टेरि कहत हौं या ते । मरियत लाज पाँच पतितन में होय कहाँ चटका ते । कै प्रभु हार मानि के बेठहु कै करो विरद सही । सूर पति ते...
    ३ KB (१९० शब्द) - १९:००, २४ मई २०१६
  • के मानी मनभावन के भावते भवन है ।—केशव (शब्द॰) । (ग) शंख भेरि निशान बाजहिं नचहिं शुद्ध सुहावनी । भाट बोलें विरद नारी वचन कहैं मन- भावनी ।—सूर (शब्द॰) ।...
    १ KB (८५ शब्द) - १२:०४, २५ मई २०१६
  • छपनी नाहिं । कबीर (शब्द॰) । (ख) बैरी बिन काज बूड़ि बूड़ि उछरत वह बड़े बंस विरद बड़ाई सो बडायती । निधि है निधान की परिधि प्रिय प्रान की सुमन की अवधि वृषभान...
    ३ KB (२३२ शब्द) - २२:३८, २१ मई २०१७
  • तेज । दुर्दमनीय । उ॰—(क) देव बंदछोर, रन रोर केसरीकिसोर, जुग जुग तेरे बर विरद बिराजे हैं ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) ते रन रोर कपीस किसोर बड़े बरजोर परे फंग...
    २ KB (१५२ शब्द) - ०७:४१, २६ मई २०१६
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