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अं
क्ष त्र ज्ञ लृ श्र अः
सार्वभौमिक वर्ण समुच्चय
यूनिकोड नामदेवनागरी अक्षर
देवनागरीU+0905

उच्चारण

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ऋ एक स्वर जो वर्णमाला का सातवाँ वर्ण है । इसकी गणना स्वरों में है और इसका उच्चारण स्थान संस्कृत व्याकरणानुसार मूर्द्धा है । इसके तीन भेद हैं—ह्वस्व, दीर्घ और प्लुत । इनमें से भी एक एक के उदात्त, अनुदात्त और स्वरित तीन तीन भेद हैं । इन नौ भेदों में भी प्रत्येक के अनुनासिक और निरनुनासिक दो दो भेद हैं । इस प्रकार ऋ के कुल अठारह भेद हुए ।

ऋ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. देवमाता । अदिति ।

२. निंदा । बुराई ।

ऋ ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] स्वर्ग [को॰] ।

ऋ की मात्रा वाले शब्द कुछ इस प्रकार से बनते हैं जैसे वृक्ष वृद्ध आदि जिसमे ऋ की मात्रा का प्रयोग किया जाता हैं