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यूनिकोड नाम | देवनागरी अक्षर न |
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देवनागरी | U+0905 |
उच्चारण
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]न एक व्यंजन जो हिदी या संस्कृत वर्णमाला का बीसवाँ और तवर्ग का पाँचवाँ वर्ण है । इसका उच्तारणस्थान दंत् है । इसके उच्चारण में आभ्यंतर प्रयत्न और जीभ के अगले भाग का दाँतों की जंड़ से स्पर्श होता है । और बाहय प्रयत्न संवार, नाद, घोष और अल्पप्राण है । काव्य आदि में इस वर्ण का विन्यास सुखद होता है ।
न ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. उपमा ।
२. रत्न ।
३. सोना ।
४. बुद्ध ।
५. बंध ।
६. मोती (को॰) ।
७. गणेश (को॰) ।
८. धन । संपत्ति (को॰) ।
९. युद्ब (को॰) ।
१०. उपहार (को॰) ।
न ^२ वि॰
१. पतला ।
२. रिक्त । शून्य ।
३. अनुऱूप । सदृश । वही ।
४. अश्रांत । न थका हुआ ।
५. प्रशांसित ।
६. अविभक्त अविभाजित [को॰] ।
न ^३ अव्य॰ १, निषेधवाचक शब्द । नहीं । मत । जैसे,—तुम न जाओ तो कोई हर्ज है ? (ख) उसे कुछ न देना ही ठीका है । विशेष—विधि, अनुज्ञा, हेतुहेतुमद् भाव आदि कुछ विशेष स्थलों पर भी 'नहीं के स्थान में 'न' आता है । जैसे,—
२. कि नहीं । या नहीं । (क) तुम वहाँ जाओगे न ? (ख) वे दिनभर तो वहाँ रहेंगे न ? विशेष—इस अर्थ में इसका प्रयोग प्रश्नात्मक वाक्य़ के अंत में ही होता है ।