ठ
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यूनिकोड नाम | देवनागरी अक्षर ठ |
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देवनागरी | U+0905 |
उच्चारण
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ठ व्यंजनों में बारहवाँ व्यंजन जिसके उच्चारण का स्थान भारत के प्राचीन वैयाकरणों ने मूर्धा कहा है । इसका उच्चारण करने में बहुधा जीभ का अग्रभाग और कभी मध्य भाग तालु के किसी हिस्से में लगाना पड़ता है । यह अघोष महाप्राण वर्ण है ।
ठ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. शिव ।
२. महाध्वनि ।
३. चंद्रमंडल या सूर्य— मंडल ।
४. मंडल । घेरा ।
५. शून्य ।
६. गोचर । इंद्रियग्राह्य वस्तु ।